पतझड़ कहता है कि खोना भी नया पाने की भूमिका है।

मनुष्य के भीतर का संसार ही उसके बाहर की दुनिया को गढ़ता है, इनर इंजीनियरिंग ।

प्रकृति और हम

“तांडव तो बस शिव कर सकते हैं।” सचमुच, शिव का नृत्य अनन्त प्रतीक है; दर्शन भी, कला भी, विज्ञान भी।

कवि संदीप द्विवेदी की पुस्तक "रोने से कुछ होता है क्या?" समीक्षा अभिषेक त्रिपाठी अयोध्या

जीवन के कोरे कागज पर जब गुरु की कलम चलती है, तब उसमें चित्र नहीं, चरित्र उभरता है

किताबें इसलिए भी पढ़िए

मन को साध लीजिए, पढ़ाई अपने आप साध जाएगी।

युवा: शक्ति, स्वप्न और संकल्प का अनमोल संगम

रामो विग्रहवान् धर्मः

सप्तऋषि: सनातन संस्कृति के अमर दीपस्तंभ

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