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"यदि" रुडयार्ड किपलिंग// हिंदी अनुवाद (व्याख्या सहित) अभिषेक त्रिपाठी// If poem in English written by Rudyard Kipling// Hindi translation by Abhishek Tripathi

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यदि तुम उस समय भी खुद पर काबू रख सकते हो/धैर्य रख सकते हो,जब सभी लोग तुम पर दोष मढ़ रहे हो/अपनी असफलताओं का ठीकरा तुम पर फोड़ रहे हों। यदि तुम उस समय भी खुद पर विश्वास/खुद पर भरोसा रख सकते हो जब सभी तुम्हें संदेह भरी नजरों से देख रहे हो; किंतु उनके शक को/शिकायतों को भी तवज्जो दे रहे हो। यदि तुम प्रतीक्षा कर सकते हो और अथक प्रतीक्षा करते हो, या झूठ का सामना करते हुए भी, झूठ से सौदा नहीं करते/झूठे नहीं बनते। या घृणा का सामना करने पर भी, खुद उससे दूर रहते हो; और इतना कुछ होने के बावजूद भी,अपनी अच्छाई,अपनी समझदारी का दिखावा/प्रदर्शन नहीं करते। यदि तुम सपने देख सकते हो और बावजूद खुद को सपने का गुलाम बनने से बचा सकते हो यदि तुम सोच सकते हो/विचार कर सकते हो,किंतु विचारों के गुलाम नहीं बनते/उसे खुद पर हावी नहीं होने देते। यदि तुम विजय और विनाश का सामना कर सकते हो और दोनों ही स्थितियों में एक समान भाव से रहते हो। यदि तुम खुद के बोले गए शब्दों,जिसे धूर्तों ने तोड़-मरोड़ कर मूर्खों को फंसाने के लिए पेश किया है; बर्दाश्त कर सकते हो। या उन चीजों को, जिन्हें तुमने बनाया है, जीवन दिया है, उन्हें बिखर...

गुनाहों का देवता ऑडियो समीक्षा Gunahon ka Devta novel audiobook review

गुनाहों का देवता उपन्यास ऑडियो समीक्षा Gunahon ka Devta novel audiobook review..

गुनाहों का देवता उपन्यास समीक्षा पार्ट 2 :- अभिषेक त्रिपाठी

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उपन्यास समीक्षा पार्ट 2 :- अभिषेक त्रिपाठी गुनाहों का देवता उपन्यास में लेखक ने अनेक रंगों का भी सहारा लिया है जो कथानक को और अधिक धार देते हैं कुछ प्रमुख चुनिंदा व्यंग प्रस्तुत है १.कोई प्रेमी है या फिलॉस्फर... देखा ठाकुर? :-  नहीं यार उससे भी निकृष्ट जीव; कवि हैं ये, रविंद्र बिसारिया। २. विनती के ससुर के डील डौल का वर्णन करते वक्त इतना बड़ा पेट.. ये अभागा पलंग भी छोटा पड़ रहा है। ३. चांद कितनी ही कोशिश क्यूं ना कर ले, रात को दिन नहीं बना सकता। ४.बीच बीच में अवधी भाषा, क्षेत्रीय बोलियां पाठकों को बांधने में काफी सफल रहती हैं। इन सबके अलावा चंदर के व्यक्तित्व को एक पैनी दृष्टि से निहारें तो पता चलता है कार्य के प्रति समर्पण भी; उसमें कहीं कम नहीं था। जब उसे थीसिस पूरी करनी थी तो पूरे एक महीने तक सुधा से दूर रहा। वहीं सुधा के विवाह के दौरान एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी,निर्वाह का दायित्व भी चंदर पर ही था। चंदर का व्यक्तित्व भी समय के अनुसार दिशा और दशा तय करता था चंदर के दोस्त और विनती के ट्यूशन टीचर रविंद्र बिसारिया के, विनती के प्रति जरा सा संदेह होने पर; पूरी दृढ़ता और बेहद ...

गुनाहों का देवता उपन्यास समीक्षा:- अभिषेक त्रिपाठी

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गुनाहों का देवता उपन्यास समीक्षा Gunahon Ka Devta Novel Review ये आज फिजा खामोश है क्यों  हर जर्रे को आखिर होश है क्यों  या तुम ही किसी के हो न सके  या कोई तुम्हारा हो न सका  मौजें भी हमारी हो न सकी  तूफां भी हमारा हो न सका देवता तो तुम रहे,कुछ गुनाह तुमसे भी हो गए; पर भक्तों को देवता का हर गुनाह क्षम्य होता है। ये कुछ पंक्तियां हैं जो बयां करती है कथानक की गहराई को, यह बताती हैं कि प्रेम ठहराव, दृढ़ निश्चय, विश्वास और संकल्प से अभिसिंचित होता है। धर्मवीर भारती का बेहद सदाबहार,कालजयी उपन्यास जिसकी पृष्ठभूमि ब्रिटिश कालीन इलाहाबाद। कथानक आधारित है सुधा और चंदर की अमर प्रेम पर। प्रेम,समर्पण और समाज के बंधनों की कहानी,जहां प्रेम बेहद अलग तरीके, पाशविकता और वासना से कोसों दूर, प्रेम के उत्प्रेरक के रूप में झलकता है। कुछ अन्य पात्र विनती पम्मी,गीसू, बर्टी, बिसारिया, कैलाश। चंद्र कपूर यानी चंदर जो अपनी मां से झगड़ कर पढ़ाई के लिए प्रयाग भाग आया था। बी ए. में एडमिशन लेता है और उसके शिक्षक होते हैं डॉक्टर शुक्ला जिन के सानिध्य में बाद में वो रिसर्च स्कॉलर भी होता है। सु...

परीक्षा टिप्स🏅🏆 All the best for your exams

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बोर्ड परीक्षा टिप्स  बोर्ड परीक्षाएं किसी भी छात्र जीवन में बहुत महत्वपूर्ण और भावी भविष्य की नींव होती हैं ऐसे में छात्र मस्तिष्क तमाम उहापोह और आत्मश्वास की कमी से जूझता रहता है आपकी तमाम जिज्ञासाओं सभी प्रश्नों का हल इस सेशन में मिलने वाला है.. परीक्षा के ठीक पहले नाइट को एक हेल्थी स्लीप बहुत जरूरी है ताकि अगले दिन आप खुद को तरोताजा महसूस करें और परीक्षा हाल में  अपना बेहतर प्रदर्शन कर सकें। परीक्षा सेंटर पर समय से पहले पहुंचे,अपने रोल नंबर के मुताबिक नोटिस बोर्ड से अपना रूम नंबर और भी अन्य जानकारियां प्राप्त करें। पानी की बोतल साथ में ले जाएं और यदि अनुमति हो तो एक एनालॉग वॉच भी ले जाए।  कॉपी पर इंफॉर्मेशन भरते समय अपने एडमिट कार्ड पर लिखी जानकारी के अनुसार भरें, ओएमआर वाले सेक्शन में नाम बड़े अक्षरों में लिखना होता है यानी ब्लॉक लेटर, साथ ही गोले भी भरने होते हैं। अब अगले पेज पर आते हैं कॉपी में दोनों और मार्जिन (सीधी रेखा) खींचे ताकि आप जो भी लिखे वह आकर्षक लगे। पेपर मिलने पर पहले उसे ध्यान से पढ़ें डिसाइड करें कौन सा प्रश्न पहले करना है कोशिश करें क्रमवार प्रश्नपत्...

मॉब लिंचिंग एक विसंगति Mob Lynching- A Nemesis

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मॉ ब लिंचिंग एक ऐसी घटना जब लोकतंत्र कानून व्यवस्था प्रशासन इत्यादि को दरकिनार कर आक्रोशित भीड़ खुद ही किसी सजा का त्वरित निर्धारण कर देती है  किसी अपराध के लिए या अनेक बार अफवाहों के आधार पर ही सजा देती है यूं कहें तो भीड़तंत्र का फैसला है यह जहां किसी को भी साक्ष्य की चिंता नहीं...शायद जरूरत भी नहीं समझते आखिर भीड़ जो है। और अंजाम कथित दोषी को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार देती है ये भीड़। प्रशासन के लिए भी एक चुनौती है क्योंकि भीड़ का कोई निश्चित चेहरा नहीं होता।  यदि इसके इतिहास की ओर रुख करें तो पता चलता है कि यह कोई आज की घटना नहीं बल्कि बरसों से चली आ रही एक चुनौती है फिर चाहे वह यूरोप की घटनाएं हो या अमेरिका में श्वेत और अश्वेत के बीच का संघर्ष और हिंसा और वर्तमान स्वरूप तो आप देख ही रहे हैं अक्सर आए दिन कहीं ना कहीं इस प्रकार की घटनाएं,खबरें आती रहती हैं  एक वक्त था जब अमेरिकी सिविल वार यानी गृह युद्ध के दौरान छोटे-छोटे अपराध के लिए भीड़ द्वारा न्याय व्यवस्था से ऊपर उठकर इस प्रकार की घटना को अंजाम दिया जाता था, और वहीं से चला रहा है मॉब लिंचिंग का सिलसिला । लिंचिंग इ...

स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन Rakshabandhan

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पौराणिक काल से,भाई बहन के स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहने भाइयों की कलाई पर रेशम की डोरी बांधकर भाई के सकुशल जीवन की कामना करती हैं और भाई बहन की रक्षा व मंगलमयता का संकल्प लेता है। बहनों द्वारा भाई की कलाई पर बांधा गया रक्षासूत्र रेशम का एक धागा मात्र नहीं,अपितु यह प्रतीक है,भारत की विविधता में एकबद्धता का। राखी के अलग अलग रंग विभिन्न धर्मों, सम्प्रदायों का प्रतिनिधित्व करते हैं।समाज में भ्रातृभावना और सहयोग के मूल को समेटे यह पर्व आज अपनी व्यापकता और गहराई से चिरपरिचित है। इस पर्व के आयोजन के विविध रूप दृष्टिगोचर होते है। प्रकृति प्रेमी वृक्षों को रक्षासूत्र में बांधते है,जिसके पीछे छिपा रहस्य प्रकृति संरक्षण से है। प्राचीन काल में गुरुकुल की शिक्षा पूर्ण होने के उपरांत स्नातक विदा लेते वक्त आचार्य का आशीर्वाद लेने हेतु उन्हें रक्षासूत्र बांधता था,और  आचार्य भी अपने शिष्य के भावी जीवन की मंगलकामना एवं अर्जित ज्ञान का समुचित उपयोग की कामना से रक्षासूत्र बांधता था। इसी परंपरा के अनुरूप आज किसी भी धार्मिक अनुष्ठान के पूर्व पुर...