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If Poem रुडयार्ड किपलिंग// हिंदी अनुवाद व्याख्या अभिषेक त्रिपाठी// If poem written by Rudyard Kipling// Hindi audio translation by Abhishek Tripathi

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 If poem "यदि" रुडयार्ड किपलिंग// हिंदी अनुवाद (व्याख्या सहित) अभिषेक त्रिपाठी// If poem in English Click 👇 If Poem by Rudyard Kipling Hindi voice Abhishek Tripathi Ayodhya

"Fight Song" Rachel Platten Lyrics and its learnings in our life फाइट सॉन्ग रचेल प्लेटिन: सफलता के लिए संघर्षरत जीवन में प्रेरणा स्रोत

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"Fight Song" गाने से जीवन में कई प्रेरणादायक संदेश मिलते हैं। यह गाना हमें उत्साह और साहस देता है, जीवन के मामलों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। गाने में कहा गया है कि जीवन की यात्रा एक समुद्र की छोटी सी नाव के समान है, जो बड़े तूफ़ानों का सामना कर रही है। एक छोटे से शब्द की ताकत से हमारा ह्रदय खुल सकता है और हम अपने अंतर्मन को जान सकते हैं। यह गाना हमें याद दिलाता है कि हालात आपके साथ जितने भी मुश्किल हों, हम अपनी शक्ति और साहस का सामना कर सकते हैं और कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं। यह एक प्रेरक गाना है जो लोगों को मजबूत बनाता है और उन्हें जीवन में उत्साह और उत्साह के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। कुछ मुख्य प्रेरणादायक संदेश निम्नलिखित हैं: संघर्ष को स्वीकारना: गाने में कहा गया है कि जीवन एक समुद्र की नाव के समान है, जो बड़े तूफ़ानों का सामना कर रही है। संघर्ष और कठिनाइयों का सामना जीवन का अनिवार्य हिस्सा है और उन्हें इसे स्वीकार करना चाहिए। सकारात्मक सोच: गाने में एक शब्द की ताकत से ह्रदय खुलता है और हम अपने अंतर्मन को जान सकते हैं। इससे ह...

If poem review समीक्षा ' IF' by Rudyard Kipling

 "इफ" (If) एक मशहूर कविता है, जिसे रुदयार्ड किपलिंग ने लिखा था। यह कविता उनकी सबसे प्रसिद्ध कविताओं में से एक है, और यह सबलता, साहस, और समर्पण की भावना को स्पष्ट करती है। कविता में किपलिंग ने इस विश्व के बदलते मूल्यों को बताया है, जो एक व्यक्ति को सही दिशा में चलने और जीवन के विभिन्न परिस्थितियों में समर्थ बनने के लिए रीढ़ बनाते हैं। इस कविता में प्रत्येक पंक्ति एक सीख और परामर्श को सूचित करती है, जो एक अच्छे और उदार इंसान का गुणवत्ता प्रस्तुत करते हैं। यह कविता जीवन के तमाम मुश्किल परिस्थितियों में अधिकारी बनने, नीति और ईमानदारी का पालन करने, धैर्य रखने, समय का सदुपयोग करने और सफलता की प्राप्ति के लिए प्रेरित करती है। इफ कविता ने लोगों के दिलों में स्थायी स्थान बना लिया है और इसे बच्चों से लेकर वयस्कों तक कई पीढ़ियों ने पसंद किया है। इसके माध्यम से किपलिंग ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों और संघर्षों के आधार पर एक अद्भुत संदेश दिया है जो अच्छे और सच्चे इंसान बनने की प्रेरणा देता है। "इफ" कविता के कुछ पंक्तियों को यहां उद्धृत किया जा सकता है: I f you can keep your head whe...

If poem hindi translation by Abhishek Tripathi

If poem hindi translation by Abhishek Tripathi   Written by Rudyard Kipling   अगर.... If you can keep your head when all about you        Are losing theirs and blaming it on you,   If you can trust yourself when all men doubt you     But make allowance for their doubting too;   If you can wait and not be tired by waiting     Or being lied about, don’t deal in lies Or being hated, don’t give way to hating     And yet don’t look too good, nor talk too wise:,,, ,  यदि तुम उस समय भी खुद पर काबू रख सकते हो/धैर्य रख सकते हो,जब सभी लोग तुम पर दोष मढ़ रहे हो/अपनी असफलताओं का ठीकरा तुम पर फोड़ रहे हों। यदि तुम उस समय भी खुद पर विश्वास/खुद पर भरोसा रख सकते हो जब सभी तुम्हें संदेह भरी नजरों से देख रहे हो; किंतु उनके शक को/शिकायतों को भी तवज्जो दे रहे हो। यदि तुम प्रतीक्षा कर सकते हो और अथक प्रतीक्षा करते हो,  या झूठ का सामना करते हुए भी, झूठ से सौदा नहीं करते/झूठे नहीं बनते। या घृणा का सामना करने प...

पथ:a way to destination बढ़ते रहो, चलते रहो, चलना तुम्हारा धर्म है

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  पथ:a way to destination 👉A STAGE ON WHEELS ब ढ़ते रहो, चलते रहो, चलना तुम्हारा धर्म है.. होते क्यूँ निराश तुम? ये तो तुम्हारा कर्म है, मुश्किलें आती और जाती रहेंगी राह में, क्या किसी राही का रुकना,और मिट जाना भी धर्म है? तुममें ही मांझी छिपा है, तुम ही वो धनुर्धर, ये जहां होगा तुम्हारा; बस छोड़ न देना डगर। भीड़ में से लोग, तुम पर फब्तियां भी कसेंगे। तुम कहीं रुक न जाना; चलना तुम्हारा धर्म है... व्यर्थ में जाने न देना, बूँद भी इक स्वेद की; ये बूँद ही वो मोती है, जो लक्ष्य को भेदती। यदि हार भी गए, तो; इसमें भला, क्या शर्म है; बढ़ते रहो, चलते रहो, चलना तुम्हारा धर्म है..! तस्वीर:2022,(कानपुर उ.प्र.) अभिषेक त्रिपाठी (अयोध्या)

"यदि" रुडयार्ड किपलिंग// हिंदी अनुवाद (व्याख्या सहित) अभिषेक त्रिपाठी// If poem in English written by Rudyard Kipling// Hindi translation by Abhishek Tripathi

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यदि तुम उस समय भी खुद पर काबू रख सकते हो/धैर्य रख सकते हो,जब सभी लोग तुम पर दोष मढ़ रहे हो/अपनी असफलताओं का ठीकरा तुम पर फोड़ रहे हों। यदि तुम उस समय भी खुद पर विश्वास/खुद पर भरोसा रख सकते हो जब सभी तुम्हें संदेह भरी नजरों से देख रहे हो; किंतु उनके शक को/शिकायतों को भी तवज्जो दे रहे हो। यदि तुम प्रतीक्षा कर सकते हो और अथक प्रतीक्षा करते हो, या झूठ का सामना करते हुए भी, झूठ से सौदा नहीं करते/झूठे नहीं बनते। या घृणा का सामना करने पर भी, खुद उससे दूर रहते हो; और इतना कुछ होने के बावजूद भी,अपनी अच्छाई,अपनी समझदारी का दिखावा/प्रदर्शन नहीं करते। यदि तुम सपने देख सकते हो और बावजूद खुद को सपने का गुलाम बनने से बचा सकते हो यदि तुम सोच सकते हो/विचार कर सकते हो,किंतु विचारों के गुलाम नहीं बनते/उसे खुद पर हावी नहीं होने देते। यदि तुम विजय और विनाश का सामना कर सकते हो और दोनों ही स्थितियों में एक समान भाव से रहते हो। यदि तुम खुद के बोले गए शब्दों,जिसे धूर्तों ने तोड़-मरोड़ कर मूर्खों को फंसाने के लिए पेश किया है; बर्दाश्त कर सकते हो। या उन चीजों को, जिन्हें तुमने बनाया है, जीवन दिया है, उन्हें बिखर...

मैं शहर हूँ:कंक्रीट के जंगल मे घिरे एक शहर की व्यथा.. city/town/metrocity/mahanagar

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गांवों का देश कहा जाने वाला भारत,आने वाले कुछ वर्षों में शहरों का देश हो सकता है, लोग रोजगार आदि के चक्कर मे शहरों की ओर भागे जा रहे, 'शहर रोजगार तो देते हैं साथ ही तमाम समस्याओं की जड़ भी बनते जा रहे हैं मेरी ये एक रचना जो कि आज शहर की व्यथा को बयां कर रही है...    व्यथित शहर मैं शहर हूँ... हरे बाग बगीचे नहीं यहां, कंक्रीट के जंगलों से घिरा, मैं शहर हूँ... विरले ही सुन पाता, पक्षियों की मधुर आवाज, दिन-भर वाहनों के शोर-शराबों में घिरा, मैं शहर हूँ...  स्वच्छ स्वस्थ और ताज़ी भाजी,         मिलना यहां दूभर हो जाता, केमिकल्स से चमकती सब्जियों से लदा,मैं शहर हूँ...            निर्मल और सुरम्य हवा                 हो गई कोसों दूर, चिमनियों के धुएं से घिरा, मैं शहर हूँ... आम, नीम, बरगद, महुआ के,     दर्शन हो गए दुर्लभ, जेठ की दुपहरी में, पत्थरों की तपन में घिरा, मैं शहर हूँ...      ©अभिषेक एन.  त्रिपाठी

पथ:a way to destination

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पथ:a way to destination     बढ़ते रहो, चलते रहो,         चलना तुम्हारा धर्म है.. होते क्यूँ निराश तुम?         ये तो तुम्हारा कर्म है, मुश्किलें आती और जाती रहेंगी राह में, क्या किसी राही का रुकना,और मिट जाना,भी धर्म है? तुममें ही मांझी छिपा है,            तुम ही वो धनुर्धर, ये जहां होगा तुम्हारा; बस छोड़ न देना डगर। भीड़ में से लोग, तुम पर फब्तियां भी कसेंगे, तुम कहीं रुक न जाना;         चलना तुम्हारा धर्म है... व्यर्थ में जाने न देना,बूँद भी इक स्वेद की; ये बूँद ही वो मोती है,जो लक्ष्य को भेदती। यदि हार भी गए,तो;            इसमें भला,क्या शर्म है; बढ़ते रहो, चलते रहो,चलना तुम्हारा धर्म है..!!    ©अभिषेक एन. त्रिपाठी (अयोध्या)