पथ:a way to destination बढ़ते रहो, चलते रहो, चलना तुम्हारा धर्म है
पथ:a way to destination 👉A STAGE ON WHEELS ब ढ़ते रहो, चलते रहो, चलना तुम्हारा धर्म है.. होते क्यूँ निराश तुम? ये तो तुम्हारा कर्म है, मुश्किलें आती और जाती रहेंगी राह में, क्या किसी राही का रुकना,और मिट जाना भी धर्म है? तुममें ही मांझी छिपा है, तुम ही वो धनुर्धर, ये जहां होगा तुम्हारा; बस छोड़ न देना डगर। भीड़ में से लोग, तुम पर फब्तियां भी कसेंगे। तुम कहीं रुक न जाना; चलना तुम्हारा धर्म है... व्यर्थ में जाने न देना, बूँद भी इक स्वेद की; ये बूँद ही वो मोती है, जो लक्ष्य को भेदती। यदि हार भी गए, तो; इसमें भला, क्या शर्म है; बढ़ते रहो, चलते रहो, चलना तुम्हारा धर्म है..! तस्वीर:2022,(कानपुर उ.प्र.) अभिषेक त्रिपाठी (अयोध्या)