क्या कोई व्यक्ति परिपूर्ण (परफेक्ट) होता है?
परिपूर्णता की चिंता क्यों करें? चाँद भी पूर्ण नहीं है, उसमें कई गड्ढे हैं। समुद्र अनुपम सुंदर है, परंतु उसका पानी खारा है और उसकी गहराइयों में अंधेरा पसरा रहता है। आकाश अनंत प्रतीत होता है, लेकिन वह भी बादलों से ढका रहता है। अतः जो कुछ भी वास्तव में सुंदर होता है, वह पूर्ण नहीं होता, बल्कि वह विशिष्ट होता है। इसलिए, पूर्णता की दौड़ में मत पड़ो। स्वतंत्र रहो, जीवन को जियो, वही करो जो तुम्हें प्रसन्नता देता है, और दूसरों को प्रभावित करने की इच्छा मत रखो।
![]() |
| क्या कोई व्यक्ति परिपूर्ण (परफेक्ट) होता है? |
दार्शनिक दृष्टिकोण से, यह विचारधारा अस्तित्ववाद (Existentialism) और अपूर्णता में सौंदर्य (Wabi-Sabi) जैसी दार्शनिक अवधारणाओं को दर्शाती है। अस्तित्ववाद कहता है कि व्यक्ति स्वयं अपने अर्थ का सृजन करता है, और समाज द्वारा तय की गई "परफेक्शन" की परिभाषा का कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं होता। जापानी वाबी-साबी दर्शन हमें सिखाता है कि अपूर्णता में ही असली सौंदर्य छिपा होता है। प्रकृति का हर तत्व - चाहे वह चाँद हो, समुद्र हो, या आकाश - अपनी खामियों के साथ ही अद्वितीय बनता है। इसी तरह, मनुष्यों को भी सामाजिक या आदर्शवादी "परिपूर्णता" की धारणा से मुक्त होकर अपने असली स्वरूप को स्वीकार करना चाहिए। सच्ची सुंदरता और सार्थकता स्वतंत्रता, आत्मस्वीकृति और वास्तविकता के प्रति प्रेम में निहित होती है, न कि किसी बाहरी मानकों को पूरा करने में।
क्या कोई व्यक्ति परिपूर्ण (परफेक्ट) होता है?
Reviewed by अभिषेक त्रिपाठी (अयोध्या)
on
अक्टूबर 11, 2025
Rating: 5
Reviewed by अभिषेक त्रिपाठी (अयोध्या)
on
अक्टूबर 11, 2025
Rating: 5
.gif)
