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If poem review समीक्षा ' IF' by Rudyard Kipling

 "इफ" (If) एक मशहूर कविता है, जिसे रुदयार्ड किपलिंग ने लिखा था। यह कविता उनकी सबसे प्रसिद्ध कविताओं में से एक है, और यह सबलता, साहस, और समर्पण की भावना को स्पष्ट करती है। कविता में किपलिंग ने इस विश्व के बदलते मूल्यों को बताया है, जो एक व्यक्ति को सही दिशा में चलने और जीवन के विभिन्न परिस्थितियों में समर्थ बनने के लिए रीढ़ बनाते हैं। इस कविता में प्रत्येक पंक्ति एक सीख और परामर्श को सूचित करती है, जो एक अच्छे और उदार इंसान का गुणवत्ता प्रस्तुत करते हैं। यह कविता जीवन के तमाम मुश्किल परिस्थितियों में अधिकारी बनने, नीति और ईमानदारी का पालन करने, धैर्य रखने, समय का सदुपयोग करने और सफलता की प्राप्ति के लिए प्रेरित करती है। इफ कविता ने लोगों के दिलों में स्थायी स्थान बना लिया है और इसे बच्चों से लेकर वयस्कों तक कई पीढ़ियों ने पसंद किया है। इसके माध्यम से किपलिंग ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों और संघर्षों के आधार पर एक अद्भुत संदेश दिया है जो अच्छे और सच्चे इंसान बनने की प्रेरणा देता है। "इफ" कविता के कुछ पंक्तियों को यहां उद्धृत किया जा सकता है: I f you can keep your head whe...

सिद्धिर्भवति कर्मजा

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 श्रीमद् भगवद्गीता (अध्याय 4 श्लोक 12) काङ्क्षन्तः कर्मणां सिद्धिं यजन्त इह देवताः। क्षिप्रं हि मानुषे लोके सिद्धिर्भवति कर्मजा ।।4.12।। सिद्धिर्भवति कर्मजा~ अभ्यास से ही सफ़लता प्राप्त होती है 

"यदि" रुडयार्ड किपलिंग// हिंदी अनुवाद (व्याख्या सहित) अभिषेक त्रिपाठी// If poem in English written by Rudyard Kipling// Hindi translation by Abhishek Tripathi

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यदि तुम उस समय भी खुद पर काबू रख सकते हो/धैर्य रख सकते हो,जब सभी लोग तुम पर दोष मढ़ रहे हो/अपनी असफलताओं का ठीकरा तुम पर फोड़ रहे हों। यदि तुम उस समय भी खुद पर विश्वास/खुद पर भरोसा रख सकते हो जब सभी तुम्हें संदेह भरी नजरों से देख रहे हो; किंतु उनके शक को/शिकायतों को भी तवज्जो दे रहे हो। यदि तुम प्रतीक्षा कर सकते हो और अथक प्रतीक्षा करते हो, या झूठ का सामना करते हुए भी, झूठ से सौदा नहीं करते/झूठे नहीं बनते। या घृणा का सामना करने पर भी, खुद उससे दूर रहते हो; और इतना कुछ होने के बावजूद भी,अपनी अच्छाई,अपनी समझदारी का दिखावा/प्रदर्शन नहीं करते। यदि तुम सपने देख सकते हो और बावजूद खुद को सपने का गुलाम बनने से बचा सकते हो यदि तुम सोच सकते हो/विचार कर सकते हो,किंतु विचारों के गुलाम नहीं बनते/उसे खुद पर हावी नहीं होने देते। यदि तुम विजय और विनाश का सामना कर सकते हो और दोनों ही स्थितियों में एक समान भाव से रहते हो। यदि तुम खुद के बोले गए शब्दों,जिसे धूर्तों ने तोड़-मरोड़ कर मूर्खों को फंसाने के लिए पेश किया है; बर्दाश्त कर सकते हो। या उन चीजों को, जिन्हें तुमने बनाया है, जीवन दिया है, उन्हें बिखर...