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सिद्धिर्भवति कर्मजा

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 श्रीमद् भगवद्गीता (अध्याय 4 श्लोक 12) काङ्क्षन्तः कर्मणां सिद्धिं यजन्त इह देवताः। क्षिप्रं हि मानुषे लोके सिद्धिर्भवति कर्मजा ।।4.12।। सिद्धिर्भवति कर्मजा~ अभ्यास से ही सफ़लता प्राप्त होती है 

परीक्षा टिप्स🏅🏆 All the best for your exams

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【Q.】 आज का प्रश्न है कि परीक्षा के दिनों में विद्यार्थियों का दिन रात एक करके पढ़ाई ही करते रहना लाभदायक है या नहीं.??  ◆निसंदेह एग्जाम टाइम है तो मेहनत तो करनी ही चाहिए किंतु .... दिमाग को भी कुछ पल आराम की जरूरत पड़ती है। √पढ़ाई और मनोरंजन में सामंजस्य बिठाने वाला विद्यार्थी ही अव्वल दर्जे का छात्र कहलाता है। ◆ बोर्ड परीक्षा के दौरान विद्यार्थियों को प्रायः ऐसी समस्याओं से दो-चार पड़ता है मेरा सुझाव यही है कि परीक्षाओं के समय विद्यार्थियों का मनोरंजन बंद कर देने की अपेक्षा कम कर देना ज्यादा उचित रहेगा। ◆ये सच है कि बोर्ड परीक्षाएं विद्यार्थी जीवन का एक अहम हिस्सा होती हैं जिसका असर जीवन पर्यन्त रहता है अतः विद्यार्थियों को उनकी स्वयं की तैयारी और क्षमता के अनुरूप पढ़ाई और मनोरंजन का समय निर्धारित करने से ज्यादा सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे,इस दौरान अभिभावकों का दिशा निर्देश भी काफी कारगर साबित होगा। ◆ध्यान रखें अपने बच्चों पर शासन करने के बजाय उन्हें अनुशासन में रहना सिखाएँ।जरूरत से अधिक प्रतिबंध तनाव का कारण बनता है.. अति सर्वत्र वर्जयेत  धन्यवाद © अभिषेक त्...

गुनाहों का देवता उपन्यास समीक्षा पार्ट 2 / Gunahon Ka Devta Novel review Part 2

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  उपन्यास समीक्षा पार्ट 2 :- अभिषेक त्रिपाठी गुनाहों का देवता उपन्यास में लेखक ने अनेक रंगों का भी सहारा लिया है जो कथानक को और अधिक धार देते हैं कुछ प्रमुख चुनिंदा व्यंग प्रस्तुत है.. १. कोई प्रेमी है या फिलॉस्फर... देखा ठाकुर? :- नहीं यार उससे भी निकृष्ट जीव; कवि हैं ये, रविंद्र बिसारिया। २. विनती के ससुर के डील डौल का वर्णन करते वक्त इतना बड़ा पेट.. ये अभागा पलंग भी छोटा पड़ रहा है। ३. चांद कितनी ही कोशिश क्यूं ना कर ले, रात को दिन नहीं बना सकता। ४. बीच बीच में अवधी भाषा, क्षेत्रीय बोलियां पाठकों को बांधने में काफी सफल रहती हैं। इन सबके अलावा चंदर के व्यक्तित्व को एक पैनी दृष्टि से निहारें तो पता चलता है कार्य के प्रति समर्पण भी; उसमें कहीं कम नहीं था। जब उसे थीसिस पूरी करनी थी तो पूरे एक महीने तक सुधा से दूर रहा। वहीं सुधा के विवाह के दौरान एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी,निर्वाह का दायित्व भी चंदर पर ही था। चंदर का व्यक्तित्व भी समय के अनुसार दिशा और दशा तय करता था चंदर के दोस्त और विनती के ट्यूशन टीचर रविंद्र बिसारिया के, विनती के प्रति जरा सा संदेह होने पर; पूरी दृढ़ता ...

गुनाहों का देवता उपन्यास समीक्षा Gunahon Ka Devta Novel Review

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  गुनाहों का देवता उपन्यास समीक्षा Gunahon Ka Devta Novel Review ये आज फिजा खामोश है क्यों  हर जर्रे को आखिर होश है क्यों  या तुम ही किसी के हो न सके   या कोई तुम्हारा हो न सका   मौजें भी हमारी हो न सकी   तूफां भी हमारा हो न सका देवता तो तुम रहे,कुछ गुनाह तुमसे भी हो गए; पर भक्तों को देवता का हर गुनाह क्षम्य होता है। ये कुछ पंक्तियां हैं जो बयां करती है कथानक की गहराई को, यह बताती हैं कि प्रेम ठहराव, दृढ़ निश्चय, विश्वास और संकल्प से अभिसिंचित होता है। धर्मवीर भारती का बेहद सदाबहार,कालजयी उपन्यास जिसकी पृष्ठभूमि ब्रिटिश कालीन इलाहाबाद। कथानक आधारित है सुधा और चंदर की अमर प्रेम पर। प्रेम,समर्पण और समाज के बंधनों की कहानी,जहां प्रेम बेहद अलग तरीके, पाशविकता और वासना से कोसों दूर, प्रेम के उत्प्रेरक के रूप में झलकता है। कुछ अन्य पात्र विनती पम्मी,गीसू, बर्टी, बिसारिया, कैलाश। चंद्र कपूर यानी चंदर जो अपनी मां से झगड़ कर पढ़ाई के लिए प्रयाग भाग आया था। बी ए. में एडमिशन लेता है और उसके शिक्षक होते हैं डॉक्टर शुक्ला जिन के सानिध्य में बाद में...

पथ:a way to destination बढ़ते रहो, चलते रहो, चलना तुम्हारा धर्म है

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  पथ:a way to destination 👉A STAGE ON WHEELS ब ढ़ते रहो, चलते रहो, चलना तुम्हारा धर्म है.. होते क्यूँ निराश तुम? ये तो तुम्हारा कर्म है, मुश्किलें आती और जाती रहेंगी राह में, क्या किसी राही का रुकना,और मिट जाना भी धर्म है? तुममें ही मांझी छिपा है, तुम ही वो धनुर्धर, ये जहां होगा तुम्हारा; बस छोड़ न देना डगर। भीड़ में से लोग, तुम पर फब्तियां भी कसेंगे। तुम कहीं रुक न जाना; चलना तुम्हारा धर्म है... व्यर्थ में जाने न देना, बूँद भी इक स्वेद की; ये बूँद ही वो मोती है, जो लक्ष्य को भेदती। यदि हार भी गए, तो; इसमें भला, क्या शर्म है; बढ़ते रहो, चलते रहो, चलना तुम्हारा धर्म है..! तस्वीर:2022,(कानपुर उ.प्र.) अभिषेक त्रिपाठी (अयोध्या)

"यदि" रुडयार्ड किपलिंग// हिंदी अनुवाद (व्याख्या सहित) अभिषेक त्रिपाठी// If poem in English written by Rudyard Kipling// Hindi translation by Abhishek Tripathi

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यदि तुम उस समय भी खुद पर काबू रख सकते हो/धैर्य रख सकते हो,जब सभी लोग तुम पर दोष मढ़ रहे हो/अपनी असफलताओं का ठीकरा तुम पर फोड़ रहे हों। यदि तुम उस समय भी खुद पर विश्वास/खुद पर भरोसा रख सकते हो जब सभी तुम्हें संदेह भरी नजरों से देख रहे हो; किंतु उनके शक को/शिकायतों को भी तवज्जो दे रहे हो। यदि तुम प्रतीक्षा कर सकते हो और अथक प्रतीक्षा करते हो, या झूठ का सामना करते हुए भी, झूठ से सौदा नहीं करते/झूठे नहीं बनते। या घृणा का सामना करने पर भी, खुद उससे दूर रहते हो; और इतना कुछ होने के बावजूद भी,अपनी अच्छाई,अपनी समझदारी का दिखावा/प्रदर्शन नहीं करते। यदि तुम सपने देख सकते हो और बावजूद खुद को सपने का गुलाम बनने से बचा सकते हो यदि तुम सोच सकते हो/विचार कर सकते हो,किंतु विचारों के गुलाम नहीं बनते/उसे खुद पर हावी नहीं होने देते। यदि तुम विजय और विनाश का सामना कर सकते हो और दोनों ही स्थितियों में एक समान भाव से रहते हो। यदि तुम खुद के बोले गए शब्दों,जिसे धूर्तों ने तोड़-मरोड़ कर मूर्खों को फंसाने के लिए पेश किया है; बर्दाश्त कर सकते हो। या उन चीजों को, जिन्हें तुमने बनाया है, जीवन दिया है, उन्हें बिखर...

गुनाहों का देवता ऑडियो समीक्षा Gunahon ka Devta novel audiobook review

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