बदलते दौर की विधा//सीरीज 0002/1000 सप्तऋषि: सनातन संस्कृति के अमर दीपस्तंभ
भारतीय सनातन संस्कृति में सप्तऋषियों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। ये वे महान ऋषि हैं जिन्होंने वेद, पुराण, उपनिषद् और अन्य धार्मिक ग्रंथों के माध्यम से न केवल ज्ञान का प्रसार किया, बल्कि धर्म, संस्कृति, विज्ञान और समाज को भी दिशा दी। इन सात ऋषियों को "सप्तऋषि" कहा जाता है, जिनके नाम इस प्रकार हैं: अत्रि, वशिष्ठ, कश्यप, गौतम, भरद्वाज, विश्वामित्र और अंगिरा।
1. ऋषि अत्रि
ऋषि अत्रि माता अनुसूया के पति थे। वे भगवान दत्तात्रेय, दुर्वासा ऋषि और सोम के पिता के रूप में विख्यात हैं। अत्रि मुनि ने तप और ध्यान से महान शक्तियाँ अर्जित कीं और वेदों के प्रचार-प्रसार में विशेष योगदान दिया।
2. ऋषि वशिष्ठ
वशिष्ठ अयोध्या के राजगुरु माने जाते हैं। उन्हें कामधेनु गाय प्राप्त हुई थी, जो सभी इच्छाओं की पूर्ति करती है। उन्होंने श्रीराम को नीति, धर्म और जीवन मूल्य सिखाए और 'योग वशिष्ठ' जैसा अद्वितीय ग्रंथ रचा।
3. ऋषि कश्यप
कश्यप ऋषि को सभी प्राणियों का पिता माना जाता है। वे अदिति, दिति, कद्रू, विनता आदि के पति थे और देवता, दैत्य, नाग, गरुड़, मनुष्य आदि उनके वंशज माने जाते हैं। वे भारतीय सृष्टि शास्त्र के मूल आधार माने जाते हैं।
4. ऋषि गौतम
गौतम ऋषि अहल्या के पति थे और महर्षि कृपाचार्य के पूर्वज। वे न्याय दर्शन के प्रवर्तक भी माने जाते हैं। उन्होंने तप से महान शक्तियाँ अर्जित की और भारतीय दर्शन को तार्किक आधार प्रदान किया।
5. ऋषि भरद्वाज
ऋषि भरद्वाज का वर्णन रामायण और महाभारत दोनों में मिलता है। वे द्रोणाचार्य के पिता थे। भरद्वाज ऋषि को आयुर्वेद, सैन्य विज्ञान और विमान शास्त्र में भी निपुण बताया गया है।
6. ऋषि विश्वामित्र
विश्वामित्र पहले राजा थे, जो तपस्या द्वारा ब्रह्मर्षि बने। वे शकुंतला के पिता और राजा हरिश्चंद्र की कथा में प्रमुख पात्र हैं। उन्होंने लोककल्याण के लिए "गायत्री मंत्र" की रचना की, जो आज भी विश्व का सबसे प्रसिद्ध वैदिक मंत्र है।
7. ऋषि अंगिरा
ऋषि अंगिरा को बृहस्पति का पिता माना जाता है। वे वेदों के ज्ञाता, तपस्वी और देवताओं के पूजनीय गुरु थे। इन्होंने ऋग्वेद में अनेक मंत्रों की रचना की है।
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