सिद्धिर्भवति कर्मजा By अभिषेक त्रिपाठी (अयोध्या)Read0 Comments श्रीमद् भगवद्गीता (अध्याय 4 श्लोक 12)काङ्क्षन्तः कर्मणां सिद्धिं यजन्त इह देवताः।क्षिप्रं हि मानुषे लोके सिद्धिर्भवति कर्मजा।।4.12।।सिद्धिर्भवति कर्मजा~अभ्यास से ही सफ़लता प्राप्त होती है