शिक्षक दिवस केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि उस ऋषि-परंपरा के प्रति हमारी कृतज्ञता है, जिसने अंधकार से प्रकाश की ओर पथ प्रशस्त किया।
मनुष्य के जीवन का सारा सौंदर्य शिक्षा और संस्कार में निहित है, और उसका स्रोत है गुरु।
कबीर ने कहा,
“गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय॥”
रामायण में गुरु वशिष्ठ ने श्रीराम को धर्म का ज्ञान दिया और महाभारत में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश देकर कर्म और योग का मार्ग दिखाया;
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।”
यह श्लोक आज भी शिक्षा का आधार है कि कर्तव्य ही प्रधान है।
पश्चिम में सुकरात ने शिक्षा को “आत्मा की ज्योति” कहा और लिंकन ने अपने पुत्र के शिक्षक को लिखा “Teach him to have faith in his own ideas.”
आज के समय में भी फिल्म “तारे ज़मीन पर” यह संदेश देती है कि “हर बच्चा खास होता है,” बस शिक्षक की दृष्टि चाहिए उसे पहचानने की।
शिक्षा केवल रोजगार नहीं, बल्कि आत्मा का उत्कर्ष है। विज्ञान कहता है कि बाल्यकाल की शिक्षा मस्तिष्क की संरचना गढ़ती है, और समाजशास्त्र मानता है कि गुरु ही संस्कृति का वाहक है। इतिहास गवाह है, चाणक्य बिना शस्त्र उठाए चंद्रगुप्त को सम्राट बना गए।
यदि राष्ट्र एक विशाल भवन है तो शिक्षक उसकी नींव है, यदि समाज एक बग़ीचा है तो शिक्षक उसका माली है।
“विद्या ददाति विनयं, विनयाद्याति पात्रताम्।”
ज्ञान ही विनम्रता और पात्रता देता है, और यह उपहार गुरु से ही मिलता है।
शिक्षक दिवस केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि उस ऋषि-परंपरा के प्रति हमारी कृतज्ञता है, जिसने अंधकार से प्रकाश की ओर पथ प्रशस्त किया।
कुछ प्रमुख महान शिक्षकों का उल्लेख प्रस्तुत है:
प्राचीन काल (वैदिक–महाकाव्य युग)
गुरु वशिष्ठ – रामायण में श्रीराम के राजगुरु व शिक्षक।
महर्षि विश्वामित्र – श्रीराम व लक्ष्मण को दिव्यास्त्र-विद्या प्रदान करने वाले।
द्रोणाचार्य – महाभारत के समय पांडव व कौरवों के शस्त्र-शास्त्र के गुरु।
कृपाचार्य – कुरु वंश के आचार्य।
शुक्राचार्य – असुरों के गुरु व दार्शनिक।
पाणिनि – संस्कृत व्याकरण के महान आचार्य।
पतंजलि – योगसूत्र व आयुर्वेद के शिक्षक।
कौटिल्य (चाणक्य) – अर्थशास्त्रकार, चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु।
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गुप्त व मध्यकाल
आर्यभट्ट – गणितज्ञ व खगोलशास्त्री।
भास्कराचार्य – गणित व खगोल के महान शिक्षक।
रामानुजाचार्य – विशिष्टाद्वैत दर्शन के आचार्य।
आदि शंकराचार्य – अद्वैत वेदांत के प्रवर्तक।
संत कबीर – लोकभाषा के शिक्षक, ज्ञानमार्ग के उपदेशक।
गुरु नानक देव – सिख धर्म के प्रथम गुरु।
मीराबाई, अक्का महादेवी – भक्ति व आत्मज्ञान की शिक्षिकाएँ।
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आधुनिक भारत (18वीं–19वीं शताब्दी)
राजा राममोहन राय – समाज सुधारक, आधुनिक शिक्षा के प्रणेता।
ईश्वरचंद्र विद्यासागर – संस्कृत पंडित, स्त्री शिक्षा व समाज सुधार के शिक्षक।
स्वामी विवेकानंद – वेदांत व योग के वैश्विक शिक्षक।
दयानंद सरस्वती – आर्य समाज के संस्थापक, वैदिक शिक्षा के प्रचारक।
महात्मा ज्योतिबा फुले – स्त्री व दलित शिक्षा के अग्रदूत।
सावित्रीबाई फुले – भारत की पहली महिला शिक्षिका, नारी शिक्षा की आधारशिला।
महर्षि अरविंद (अरविंद घोष) – अध्यात्म व शिक्षा के दार्शनिक।
रवीन्द्रनाथ ठाकुर – विश्वभारती विश्वविद्यालय के संस्थापक।
एनी बेसेन्ट – थियोसोफिकल सोसायटी व शिक्षा सुधारक।
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20वीं शताब्दी
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन – दार्शनिक, शिक्षक, भारत के राष्ट्रपति।
महात्मा गांधी – सत्य, अहिंसा व नैतिक शिक्षा के शिक्षक।
जाकिर हुसैन – शिक्षक व राष्ट्रपति।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम – “मिसाइल मैन”, राष्ट्रपति व आदर्श शिक्षक।
एम.एस. सुब्बालक्ष्मी – संगीत की शिक्षिका, भारत रत्न।
रुक्मिणी देवी अरुंडेल – भरतनाट्यम की शिक्षिका।
डॉ. भीमराव अंबेडकर – विधि, समाजशास्त्र व राजनीति के महान शिक्षक।
विनोबा भावे – भूदान आंदोलन के शिक्षक व समाज सुधारक।
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महिला शिक्षिकाएँ (विशेष उल्लेख)
सावित्रीबाई फुले – स्त्री शिक्षा की पहली शिला।
पंडिता रमाबाई – महिला शिक्षा की प्रणेता।
डॉ. आनंदीबाई जोशी – भारत की पहली महिला डॉक्टर व शिक्षिका।
कस्तूरबा गांधी – महिला शिक्षा व स्वाधीनता संग्राम की मार्गदर्शिका।
हंसा मेहता – शिक्षाविद् व महिला अधिकारों की समर्थक।
कमला नेहरू – महिला उत्थान की प्रेरणा।
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समकालीन युग
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम – बच्चों के प्रिय शिक्षक।
डॉ. के. कस्तूरीरंगन – वैज्ञानिक व शिक्षा नीति निर्माता।
डॉ. मंजुल भार्गव – भारतीय मूल के गणितज्ञ, शिक्षक।
डॉ. राधाकृष्णन वेंकटरमन, सैयद हुसैन, कृष्णमूर्ति आदि – आधुनिक शिक्षा जगत की विभूतियाँ।
भारत की परंपरा में हर वह व्यक्ति शिक्षक है, जो किसी को जीवन के पथ पर सही दिशा दिखाए। “आचार्य देवो भव”—यह केवल श्लोक नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का शाश्वत सत्य है।
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