मसल्स (स्नायु) तभी मज़बूत होते हैं जब उन्हें प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है।
"न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः।"
मनुष्य का जीवन भी प्रकृति की लयबद्ध कविता है; कभी मधुर, कभी मर्मस्पर्शी, कभी विकट संघर्षमय। जैसे गंगा हिमालय की कठोर शिलाओं से टकराकर अपनी गति पाती है, वैसे ही व्यक्ति जीवन की कठिनाइयों से जूझकर अपनी पहचान गढ़ता है।
एक पुरानी यूनानी कथा है, एक मूर्तिकार ने एथेन्स में अपने शिष्य को एक अधूरी मूर्ति पर काम करने को दिया। शिष्य ने महीनों तक कठोर परिश्रम किया, पसीना बहाया, चट्टानों को तराशा। अंत में वह थक गया और गुरू से कहा, “गुरुदेव, आप चाहते तो एक झटके में इसे पूरा कर सकते थे।” गुरू ने मुस्कराकर उत्तर दिया, “यदि मैं करता, तो मूर्ति तुम्हारी होती ही नहीं, और न ही तुम स्वयं के मूर्तिकार बन पाते।”
रामायण में भी सीता की अग्निपरीक्षा और राम का वनवास केवल कथा नहीं, बल्कि यह संकेत है कि धैर्य और तपस्या के बिना धर्म और सम्मान की विजय संभव नहीं।
पश्चिम में अब्राहम लिंकन का जीवन इस सत्य का साक्षात उदाहरण है, किसान का बेटा, कई बार चुनाव में पराजित, लेकिन हर असफलता ने उसे और दृढ़ बनाया, अंततः वह अमेरिका का महान राष्ट्रपति बना।
विज्ञान भी इस नियम को मान्यता देता है। मसल्स (स्नायु) तभी मज़बूत होते हैं जब उन्हें प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है। बिना दबाव के न ही कोयला हीरा बनता है, न ही अंडे से चूज़ा निकल पाता है।
कबीर ने कहा था
"माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।"
यह पंक्ति संघर्ष के भीतर के परिवर्तन का संकेत देती है; बाहरी सहूलियत से नहीं, भीतरी तपस्या से ही रूपांतरण संभव है।
फ़िल्म चक दे! इंडिया का वह डायलॉग भी यहाँ फिट बैठता है! “कभी कभी एक जीत के लिए एक से ज़्यादा बार हारना पड़ता है।”
जीवन की राहों में आने वाला हर पत्थर एक सीढ़ी हो सकता है, यदि हम उसे ठोकर मानने के बजाय पायदान बना लें। भारतीय संस्कृति में तप केवल कष्ट भोगना नहीं, बल्कि अपनी सीमाओं को तोड़कर आगे बढ़ना है। ऋग्वेद कहता है
"न त्वा दया, न मृदुता, न प्रियवचनानि; केवलं पुरुषार्थः पाति।"
इसलिए, संघर्ष से भागना, किसी के पंखों को बिना मेहनत मजबूत करने की कोशिश करना, यह दया के आवरण में छुपा अहित है।
जीवन के हर मोड़ पर, जैसे तितली को खोल से निकलना पड़ता है, वैसे ही हमें भी अपने भीतर के डर, आलस्य और भ्रम के जाल को फाड़ना पड़ता है। तभी पंख फैलकर उड़ान संभव है।
"The harder the battle, the sweeter the victory." — Les Brown.
संघर्ष ही वह ईश्वर का अदृश्य आशीर्वाद है, जो हमें हमारी असली उड़ान देता है। वरना, हम पंख होते हुए भी उड़ान के बिना रह जाते हैं; जैसे वह तितली, जिसे मदद मिली, लेकिन जीवन नहीं।
कोई टिप्पणी नहीं:
💐Most welcome dear friends; मित्रों, सभी का स्वागत है। आप अपने विचार कॉमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं -
1. Be civil and respectful; your words means whatever you are. लिखते समय सभ्यता का ध्यान ज़रूर रखें।
2. No self - promotion or spam.📢