0004जीवन को संगीत की तरह जिएं — कभी सुर में, कभी बेसुरा, लेकिन हमेशा सृजनशीलता और आस्था के साथ।
जीवन को संगीत की तरह जिएं — कभी सुर में, कभी बेसुरा, लेकिन हमेशा सृजनशीलता और आस्था के साथ। #AbhishekTripathiAyodhya
आपके भीतर वह अग्नि है जो असंभव को संभव बना सकती है
जीवन की राह कभी सीधी नहीं होती — यह कभी कुरुक्षेत्र का युद्धभूमि बन जाती है, तो कभी राम का वनवास। परंतु एक बात सदा सत्य है: आपके भीतर वह शक्ति है, जो पहाड़ों को हिला सकती है। जैसे अर्जुन ने श्रीकृष्ण से गीता में मार्गदर्शन पाकर मोह का त्याग किया और धर्मयुद्ध को स्वीकारा, वैसे ही हर इंसान को अपने भीतर के संशयों को हराकर, आत्मबल से विजय प्राप्त करनी होती है।
रामायण हमें सिखाती है कि धैर्य और त्याग से रावण जैसे महाबली का अंत होता है। महाभारत कहती है कि निर्णय लेने की शक्ति ही जीवन की दिशा तय करती है। विज्ञान हमें यह सिखाता है कि हर कठिनाई में एक समाधान छुपा है — ठीक वैसे ही जैसे आइंस्टीन ने अंधेरे में प्रकाश खोजा।
"वो सुबह कभी तो आएगी..." यह गीत सिर्फ एक आशा नहीं, एक जीवन-दर्शन है। जब हम अपने हर छोटे-छोटे प्रयासों को मूल्य देते हैं, तो वही प्रयास सीढ़ियाँ बनते हैं जो हमें सफलता की ऊँचाइयों तक ले जाते हैं। चंद्रयान का चंद्रमा पर पहुंचना कोई जादू नहीं था — वह लाखों वैज्ञानिकों की संकल्पशक्ति का परिणाम था।
"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन"
(कर्म करते जाओ, फल की चिंता मत करो)।
यह सिर्फ आध्यात्म नहीं, जीवन की रणनीति है। जब हम नकारात्मक सोच — जैसे “मैं नहीं कर सकता” — को त्यागकर सकारात्मक प्रयास करते हैं, तब हम असंभव को संभव बनाते हैं।
यदि आप स्वयं पर विश्वास करते हैं, तो आपकी राह खुद बनने लगती है। जीवन में कोई भी कठिनाई अंतिम नहीं होती — वह केवल एक नई शुरुआत का द्वार है।
आज से हर निर्णय आत्मबल और स्पष्टता से लें। सोचिए, यदि अर्जुन ने निर्णय न लिया होता, तो महाभारत का क्या होता? अगर राम ने वनगमन न स्वीकारा होता, तो रावण का अंत कैसे होता? और अगर नील आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा पर कदम न रखा होता, तो मानवता आज भी सितारों को छूने से डरती।
आपके भीतर वह शक्ति है, जो राह बनाएगी, रोशनी लाएगी, और आपको आपकी असली मंज़िल तक ले जाएगी।
अभिषेक त्रिपाठी, अयोध्या

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