जब पढ़ाई में न लगे मन : चिंतन, समाधान और प्रेरणा का सम्यक संगम।
जब पढ़ाई में मन न लगे, तो यह विचार करना ज़रूरी है कि समस्या वास्तव में कहाँ है? शरीर में, मन में, या उद्देश्य में?
महाभारत का यक्ष प्रश्न: मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कौन? उत्तर: “आलस्य।”
आज की तेज़ रफ़्तार और डिजिटल युग में पढ़ाई के प्रति मन का न लगना एक आम समस्या बन चुकी है। विद्यार्थियों के हाथ में स्मार्टफोन है, दिमाग में हज़ारों विचार, और मन में कई दुविधाएँ। लेकिन ये भी सच है कि शिक्षा ही वह दीपक है जो अज्ञान के अंधकार को चीर सकता है। Harvard University (2021) के अध्ययन के अनुसार, ध्यान भटकाव का मुख्य कारण अत्यधिक स्क्रीन टाइम, नींद की कमी, और मनोवैज्ञानिक दबाव है। भारत में NCERT की एक रिपोर्ट (2022) के अनुसार, 62% छात्रों को पढ़ाई में एकाग्रता की कमी होती है, विशेषकर ऑनलाइन शिक्षा के बढ़ने के बाद। ब्रेन साइंस के अनुसार डोपामिन रिवॉर्ड सिस्टम बार-बार तात्कालिक संतोष की ओर आकर्षित करता है, जैसे Instagram, Reels या गेमिंग; जिससे गहराई से सोचने और एकाग्र होने की क्षमता घटती है। मन को साध लीजिए, पढ़ाई अपने आप साध जाएगी। पढ़ाई को केवल एक विषयवस्तु न मानकर "स्वधर्म" समझा जाए तो स्थिति बदल सकती है।
कुछ समाधान और जरूरी सुझाव:
1. लक्ष्य का स्पष्ट होना (Goal clarity)
2. एक नियत दिनचर्या (Routine)
3. योग, प्राणायाम और ध्यान
4. डिजिटल डिटॉक्स
5. स्व-मूल्यांकन और आत्म-संवाद
पढ़ाई केवल परीक्षा में अंक लाने का माध्यम नहीं, बल्कि आत्मविकास का, समाज परिवर्तन का और आत्मा के जागरण का साधन है। जब मन न लगे, तो ये मत सोचिए कि आप असफल हैं; बल्कि यह एक संकेत है कि मन और मस्तिष्क को पुनः केंद्रित करने की आवश्यकता है।
जब पढ़ाई में न लगे मन : चिंतन, समाधान और प्रेरणा का सम्यक संगम।
Reviewed by अभिषेक त्रिपाठी (अयोध्या)
on
जून 20, 2025
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