0004जीवन को संगीत की तरह जिएं — कभी सुर में, कभी बेसुरा, लेकिन हमेशा सृजनशीलता और आस्था के साथ।

जीवन, एक यात्रा है — मोह से मोक्ष तक

सच्ची मुक्ति जंगलों में नहीं, बल्कि आत्म-चिंतन में है।

अयोध्या परिक्रमा विशेष

तांडव तो बस शिव कर सकते हैं। सचमुच, शिव का नृत्य अनन्त प्रतीक है; दर्शन भी, कला भी, विज्ञान भी।

क्या कोई व्यक्ति परिपूर्ण (परफेक्ट) होता है?

ईश्वर नियम है, और नियम ही ईश्वर। यही ज्ञान, यही मुक्ति, यही सत्य है।

Blogger द्वारा संचालित.