कृष्ण केवल एक देवता नहीं, वे जीवन के शाश्वत संगीत हैं।

जीवन का प्रथम और अंतिम उद्धारक स्वयं हम ही हैं।

0004जीवन को संगीत की तरह जिएं — कभी सुर में, कभी बेसुरा, लेकिन हमेशा सृजनशीलता और आस्था के साथ।

जीवन, एक यात्रा है — मोह से मोक्ष तक

सच्ची मुक्ति जंगलों में नहीं, बल्कि आत्म-चिंतन में है।

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