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क्या कोई व्यक्ति परिपूर्ण (परफेक्ट) होता है?

ईश्वर नियम है, और नियम ही ईश्वर। यही ज्ञान, यही मुक्ति, यही सत्य है।

माता, पिता और आचार्य - ये तीन स्तंभ हैं जिन पर मनुष्य के अस्तित्व का आधार टिका है।

योद्धा वही, जो केवल रण जीतना नहीं, हृदय भी जीतना जाने

मसल्स (स्नायु) तभी मज़बूत होते हैं जब उन्हें प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है।

शिक्षक दिवस केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि उस ऋषि-परंपरा के प्रति हमारी कृतज्ञता है, जिसने अंधकार से प्रकाश की ओर पथ प्रशस्त किया।

पतझड़ कहता है कि खोना भी नया पाने की भूमिका है।

मनुष्य के भीतर का संसार ही उसके बाहर की दुनिया को गढ़ता है, इनर इंजीनियरिंग ।

प्रकृति और हम

“तांडव तो बस शिव कर सकते हैं।” सचमुच, शिव का नृत्य अनन्त प्रतीक है; दर्शन भी, कला भी, विज्ञान भी।

कवि संदीप द्विवेदी की पुस्तक "रोने से कुछ होता है क्या?" समीक्षा अभिषेक त्रिपाठी अयोध्या

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