कृष्ण केवल एक देवता नहीं, वे जीवन के शाश्वत संगीत हैं।

जीवन का प्रथम और अंतिम उद्धारक स्वयं हम ही हैं।

0004जीवन को संगीत की तरह जिएं — कभी सुर में, कभी बेसुरा, लेकिन हमेशा सृजनशीलता और आस्था के साथ।

जीवन, एक यात्रा है — मोह से मोक्ष तक

सच्ची मुक्ति जंगलों में नहीं, बल्कि आत्म-चिंतन में है।

अयोध्या परिक्रमा विशेष

तांडव तो बस शिव कर सकते हैं। सचमुच, शिव का नृत्य अनन्त प्रतीक है; दर्शन भी, कला भी, विज्ञान भी।

क्या कोई व्यक्ति परिपूर्ण (परफेक्ट) होता है?

ईश्वर नियम है, और नियम ही ईश्वर। यही ज्ञान, यही मुक्ति, यही सत्य है।

माता, पिता और आचार्य - ये तीन स्तंभ हैं जिन पर मनुष्य के अस्तित्व का आधार टिका है।

अल्फा मैन बनाम कम्पलीट मैन : योद्धा वही, जो केवल रण जीतना नहीं, हृदय भी जीतना जाने।

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